जब वायुमंडल ही नहीं है, तो चंद्रमा पर तस्वीरें कैसे खींचते हैं एस्ट्रोनॉट?

How do astronauts take pictures on the moon: सोशल साइट कोरा (Quora) पर अक्सर लोग कुछ ऐसे सवाल पूछते हैं, जिनका जवाब बहुत कम लोगों को ही पता होता है. हालांकि, उन सभी सवालों के जवाब इस प्लेटफॉर्म पर जुड़े यूजर्स ही देते हैं. यहां ऐसा ही एक सवाल पूछा गया है कि ‘जब वायुमंडल ही नहीं है, तो चंद्रमा पर तस्वीरें कैसे खींचते हैं एस्ट्रोनॉट?’. जिसका जवाब कोरो यूजर्स रामपाल नागी और डॉक्टर सुंरेंद्र पी शर्मा, और बिपिन कुमार शर्मा ने दिया है.

रामपाल नागी कोरा पर लिखते हैं, ‘वायुमंडल की शून्यता का प्रभाव ध्वनि के संचरण पर पड़ता है, क्योंकि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की जरूरत होती है, जबकि प्रकाश बिना किसी माध्यम के भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर तक जा सकता है, इसलिए वायुमंडल नहीं होने पर भी एस्ट्रोनॉट चंद्रमा पर तस्वीरें खींच सकते हैं.’ ऐसा ही जवाब कोरा यूजर डॉक्टर सुरेंद्र पी शर्मा और बिपिन कुमार शर्मा ने दिया है. 

प्रकाश को क्यों नहीं होती माध्यम की जरूरत?

वेदांतु.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, प्रकाश तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic waves) हैं, जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है. इसलिए प्रकाश निर्वात में जैसे चंद्रमा पर भी चल सकता है. प्रकाश अंतरिक्ष के साथ-साथ हवा, पानी या कांच जैसी पारदर्शी चीजों से होकर भी गुजर सकता है.

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मून मिशन पर इस्तेमाल
किया गया हैसलब्लैड कैमरा (Image-lpi.usra.edu)

कैसे काम करता है कैमरा?

प्रकाश जब वस्तुओं से टकरा कर हमारी आंखों पर गिरता है, तो चीजें हमें दिखाई देती हैं. क्रिएटिवलाइव की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा ही कुछ कैमरों में होता है, जिस वस्तु की तस्वीर खींची जानी है, उससे टकरा कर आने वाले प्रकाश किरणों को कैमरों लेंसों की मदद से एक सिंगल प्वॉइंट पर पुनर्निर्देशित (Redirect) करता है, जिससे एक साफ इमेज बनती है. जब वे सभी प्रकाश किरणें डिजिटल कैमरा सेंसर या फिल्म के एक टुकड़े पर वापस मिलती हैं, तो वे एक साफ तस्वीर बनाती हैं. 

ऐसा लगभग हर कैमरा में होता है, कहा जाए तो यह तस्वीरें खींचे जाने का बेसिक है. हालांकि, चंद्रमा पर इस्तेमाल किए जाने वाले कैमरे तकनीकी तौर से काफी उन्नत होते हैं. उनको चंद्रमा की सतह के तापमान और निर्वात के हिसाब से डिजाइन किया जाता है. कई अन्य टेक्निकल पहलू भी कैमरों में जोड़े जाते हैं. lpi.usra.edu की रिपोर्ट के अनुसार, नासा के अपोलो मिशन 15 के दौरान एस्ट्रोनॉट्स ने 70-मिलीमीटर हैसलब्लैड डेटा कैमरे, 16-मिलीमीटर डेटा एक्विजिशन कैमरा (डीएसी), और एक रंगीन टीवी कैमरा (LM4), या लूनर सर्फेसटीवी कैमरा का इस्तेमाल किए गए थे.

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Source – News18