आत्माओं का शहर कहते हैं, यहां के लोग जिंदा रहने पर खुद को मानते हैं खुशकिस्मत

भूतों का शहर, पिशाचों का गांव! इस तरह के नाम आपने तो बहुत सुने होंगे पर दुनिया के एक कोने में वाकई ऐसा शहर है जिसे जोम्बी टाउन या आत्माओं का शहर कहा जाता है. मजेदार बात यह है यहां किसी तरह का कोई भूत नहीं है. ना ही यहां भूत प्रेतों या जोम्बी की कहानियां प्रचलित हैं. इसकी वजह भी बड़ी मामूल है जिससे इस शहर को ऐसे नाम दिए गए हैं. लोग खुद के जिंदा रहने पर खुद को बहुत किस्मत वाला मानते हैं और इस सबकी वजह बड़ी मामूली सी है.

अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत के सैनफ्रांसिसको महानगर के दक्षिण में कोलमा नाम का छोटा सा शहर है. यहां पिछले कई दशकों के बात संयोग से हालात ऐसे बन गए हैं, जिससे  यहां कब्रों की संख्या यहां के रहने वालों से कहीं ज्यादा हो गई है. आलम यह है कि यहां हर एक जीवित व्यक्ति पर एक हजार कब्र हैं. यही वजह से लोग इसे आत्माओं का शहर या जोम्बी टाउन कहने लगे हैं.

इस शहर की आबादी आज केवल 1550 ही रह गई है, जबकि यहां करीब 1500000 कब्रें हैं. कोलमा के ऐसे हालात बनने साल 1912 में शुरू हुए थे, जब पड़ोसी शहर सैन फ्रांसिस्को ने कब्रिस्तानों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था. इसकी वजह यह थी कि वहां आबादी बढ़ने के साथ-साथ जमीन बहुत महंगी होती जा रही थी.

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देख कर यकीन नहीं होता है कि आज इस शहर की आबादी इतनी कम हो चुकी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

1900 के दशक की शुरुआत में, सैन फ्रांसिस्को में 27 कब्रिस्तान थे. आजकल वहां अब केवल दो रह गए हैं, जिसका मतलब है कि लाशों को उखाड़ने का काम बहुत ज्यादा होता था. सबसे पहले इसमें सैन फ्रांसिस्को में कब्र खोदना शामिल था, जिसमें 150,000 से ज़्यादा शवों को कोलमा ले जाया गया, जो कि सबसे बड़े ‘मृतकों के प्रवास’ में से एक था.

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इसके बाद अगले कुछ दशकों में, कोलमा सैन फ्रांसिस्को के शवों से भर गया, जब तक कि यह 1924 में एक आधिकारिक ‘नेक्रोपोलिस’ यानी ‘कब्रों की जगह’, नहीं बन गया. यहां कभी भी मृतकों से अधिक जीवित निवासी नहीं रहे. आज यह फूल विक्रेताओं और तराशने वाले के लिए एक संपन्न स्थान बन चुका है. समय के साथ यहां के लोग  खुद को कब्रों का रखवाला मानते हैं और उनसे भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं.

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Source – News18